Thursday, May 13, 2010

क्या भारतीय राजनीती बदलेगी?

हेल्लो दोस्तों,
ये मेरा पहला ब्लॉग कमेन्ट है। आज कल ये बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है की क्या इंडियन पोलिटिक्स कभी बदल पायेगी? अगर हाँ तो कौन बदलेगा इसे? कोई युवा या फिर खुद ठीक तरह से चलने के काबिल ना होने के बावजूद देश को चलाने का दावा करने वाले हमारे माननीय वयोवृद्ध राजनेता? और अगर नहीं बदलेगी तो क्यों नहीं बदलेगी?
आज़ादी के बाद से ये सवाल उठता रहा है, अगर आज भारतीय राजनीती के सन्दर्भ में बात करे तो आज दो राष्ट्रीय पार्टियाँ नजर आती है,बीजेपी और कांग्रेस। कांग्रेस को हमने ६० साल मौका दिया और आज भी वही के वही है,बीच मे श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व मे बीजेपी ने काफी उम्मीद जगाई पर आज वो अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लडती नजर आती है।
अब बात आती है भारतीय युवा की,आज का युवा यानि gen नेक्स्ट, वाकई आजादी के बाद के ६२ साल के वक़्त में पहली बार युवा शक्ति इतनी मजबूत नज़र आती है, अपने लक्ष्य को पाने के लिए पहले से कही ज्यादा जागरूक दिखाई देती है।
आज के युवा को देश में हो रहे अपराध पर चिंता है तो क्रिकेट में इंडिया की हार का अफ़सोस भी। पर आज की राजनीती को पूरी तरह बदलने का जिम्मा क्या युवा पीढ़ी का है? क्या हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे पुरानी और आज की रूलिंग पार्टी का काम केवल इस बहस का फायदा उठाकर राजनितिक रोटियां सकने का है?
खुद को युवा नेता बताकर जनता को गुमराह करने वाले १ बहुत बड़े राजनितिक घराने से सम्बन्ध रखने वाले नेता जी दलितों के घर खाना खाकर या कुछ देर बिताकर खुद को उनका शुभचिंतक बताते हे,मुंबई की लोकल ट्रेन के peak hours में पूरी बोगी खाली करवाकर उसमे सफ़र करने वाले ये नेता कहते है के हम जनता के शुभचिंतक है,उनकी पार्टी कहती है के ये युवा देश के अगले युवा नेता है,जबकि उम्र ४० साल है उनकी और अगले लोकसभा चुनाव में जब वो अपनी दावेदारी पेश करेंगे तो आप उनकी उम्र का अंदाजा लगा सकते है। अपनी मजबूत राजनेतिक पारिवारिक प्रष्ठभूमि का फायदा उठाते हुए वास्तविक युवा नेताओ को पीछे फेंक दिया है,।
आज का युवा अगर इन लोकलुभावन वादों,बातो से बच सका तो पूरी राजनीती तो नहीं पर कुछ परिवर्तन अवश्य आयेगा।

फिर मिलेंगे

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